Showing posts with label सम और विषम के चक्कर मे दिल्ली विषम परिस्थिति मे ?. Show all posts
Showing posts with label सम और विषम के चक्कर मे दिल्ली विषम परिस्थिति मे ?. Show all posts

Sunday, December 6, 2015

सम और विषम के चक्कर मे दिल्ली विषम परिस्थिति मे ?

"कहा जाता है की दिल्ली अब तक कई बार लुट चुकी है, कभी ग़ज़नवी तो कभी कोई और. कहीं ऐसा ना हो की इस बार दिल्ली एक बार फिर से लुट जाए और इस बार दिल्ली को लूटने के लिए कॅन्सर जैसी कोई ख़तरनाक बीमारी हो".....

दिल्ली मे सिविल लाइन्स मे बेंजेन की मात्रा 19 गुना पाई गई. दूसरे इलाक़ों मे भी बेंजेन की मात्रा नॉर्मल से काफ़ी ज़्यादा पाई गई. बेंजेन बहुत ही कॅन्सरस होती है. इसका कोई रंग नही होता. इसकी कोई स्मेल भी नही होती. कल्पना कीजिए क़ी यह कॅन्सरस बेंजेन, 19 गुना के लेवेल पर आपके घर मे, आपके बेड रूम मे, आपके ड्रॉयिंग रूम मे, आपके किचन मे फैली हुई हो, जिसमे आप, आप का परिवार, आपके बुजुर्ग माता पिता, आपके बच्चे, नाती, पोते, पोती सभी साँस ले रहे हो, तो क्या होगा ?

बेंजेन के साथ साथ तौलिन का लेवेल भी काफ़ी ज़्यादा है. साथ ही साथ PM 2.5 और PM 10 भी मानक से कई कई गुना उपर  चल रहे हैं. दीवाली की रात दिल्ली मे कई जगहो पे PM 2.5, 16 गुना तक पाया गया और PM 10 तो 23 गुना ( 2308 ) पर था. पर्टिक्युलेट मॅटर्स धूल के वो बारीक कन होते है जो सांसो के साथ साथ आपके लंग्ज़ मे पहुँच जाते है और फिर आपकी सेहत को भारी नुकसान पहुँचाते हैं. 

इसका एक बड़ा कारण दिल्ली मे गाड़ियों की बदती हुई संख्या भी है. सिर्फ़ पिछले 10 सालों मे दिल्ली मे गाड़ियों की संख्या लगभग 41 लाख से बॅड्कर लगभग 90 लाख तक पहुँच चुकी है. जबकि सड़के लगभग उसी अनुपात मे हैं जो की 10 साल पहले हुआ करती थी. नतीजतन, ट्रॅफिक जाम की भयंकर परिस्थिति और उसके कारण भारी पोल्यूशन. क्या आपको नही लगता की इस सबको अगर अब भी ना रोका गया तो क्या होगा. 

कहा जाता है की दिल्ली अब तक कई बार लुट चुकी है, कभी ग़ज़नवी तो कभी कोई और. कहीं ऐसा ना हो की इस बार दिल्ली एक बार फिर से लुट जाए और इस बार दिल्ली को लूटने के लिए कॅन्सर जैसी कोई ख़तरनाक बीमारी हो. 

अब इसका सिर्फ़ एक इलाज नज़र मे आता है और वो है कि दिल्ली की सड़कों से गाड़ियों को कम करना. दिल्ली के CM ने दिल्ली हाइ कोर्ट और NGT के स्ट्रिक्चर्स के बाद यह ऑर्डर कर दिया है की अब 1 जन्वरी से दिल्ली मे सिर्फ़ सम या फिर विषम नंबरों की गाड़ियाँ ही किसी एक दिन चल सकेंगी. यानी की जिस दिन सम नंबरों की गाड़ियाँ चलेंगी, उस दिन विषम नंबरों की गाड़िया नही चल सकेंगी.

अब पोल्यूशन को कम करने के लिए हमे कड़े कदम तो उठाने पड़ेंगे, लेकिन दिक्कत यह है की हमारे शहर मे यातायात के पर्याप्त साधन ही नही है. मेट्रो बड़ा अछा काम कर रही है लेकिन अब उसमे भी भारी भीड़ दिखने लग गई है.

सभी को डर है की पोल्यूशन हटाने के चक्कर मे कही हम अपनी नोकरी ही ना गवा बैठे क्योंकि तीन दिन बिना कार के, मुश्किल तो होने वाली है. अब सरकार को देखना है की वो यह स्कीम किस तरह से लागू करती है ताकि लोगो को कोई मुश्किल ना हो, काम धंधों पे पहुँचने मे परेशानी ना हो, सुख दुख मे शामिल होने मे कोई दिक्कत ना हो, किसी मेडिकल एमर्जेन्सी के समय कोई रोक टोक ना हो.

हम तो यह चाहेंगे कि दिल्ली सरकार शुरुआत मे रोज सिर्फ़ एक या दो डिजिट की गाड़ियों को ही बंद करे यानी की सोमवार को 0 , 1, मंगल वार को 2, 3, बुधवार को 4, 5, गुरुवार को 6, 7, और शुकरवार को 8, 9. बाकी के दो दिन, यानी की शनिवार और इतवार को किसी तरह की कोई रोक ना हो ताकि लोग अपनी छुट्टी एंजाय भी कर सके.

इस स्कीम को कुछ दिन चलाने के बाद, सरकार यह देखे की लोगों को कहीं कुछ दिक्कत तो नही हो रही और फिर उस हिसाब से ज़रूरी इन्तेजाम करने के बाद ही आगे के लिए ज़रूरी निर्देश दिए जाए. इससे एक तरफ तो सरकार भी सही तरह के दिशा निर्देश दे पाएगी और जनता को भी ज़्यादा नुकसान नही होगा.

अब देखते हैं की दिल्ली का उनठ किस करवट बैठता है लेकिन सच्चाई यही है की अगर दिल्ली को बर्बाद होने से बचाना है तो पोल्यूशन तो कम करना ही पड़ेगा.

B S Vohra
Social Activist,
President,
East Delhi RWAs Joint Front
www.RWABhagidari.com
www.RWABhagidari.blogspot.in