Tuesday, January 17, 2012

बिजली कंपनियों के खर्चों का होगा हिसाब


नई दिल्ली।। दिल्ली की बिजली कंपनियों ने पिछले 5 साल में खर्च का जो हिसाब दिया है वह कितना सही है, इसकी जांच दिल्ली इलैक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉरिटी (डीईआरसी) करेगा। इसके लिए डीईआरसी कंसल्टेंसी सर्विस हायर कर रहा है। आरडब्ल्यूए का कहना है कि कंसलटेंट के काम को पब्लिक स्क्रूटनी के लिए ओपन रखना चाहिए, ताकि कोई कंसलटेंट को प्रभावित करने की कोशिश न कर सके। 

डीईआरसी ने कंसल्टेंसी सर्विस के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं। टेंडर देने की आखिरी तारीख 7 फरवरी है। कंसलटेंट बिजली कंपनी बीआरपीएल, बीवाईपीएल, एनडीपीएल, और दिल्ली ट्रांसको के खर्चों की जांच करेगा। कंज्यूमर से विभिन्न डिपॉजिट स्कीम के जरिए और पूंजी निवेश कर कितने ऐसेट जोड़े गए हैं, इसका भी फिजिकल वेरिफिकेशन होगा। 

डीईआरसी के मुताबिक कंसलटेंट बिजली कंपनियों के खातों में 2006-07 से 2010-11 के दौरान दिखाए गए खर्चे की साल दर साल जांच करेगा। कंसलटेंट जांच के दौरान ज्यादा कीमत वाले आइटम का सैंपल सर्वे कर सकता है। इसकी भी जांच होगी कि बिजली कंपनियों ने जो खरीद की, उसकी टेंडर प्रॉसेस क्या थी और इसमें डीईआरसी की गाइडलाइंस का पालन किया गया या नहीं। कंसलटेंट खरीद की जरूरत पर भी अपनी राय रख सकता है, यानी जिसके लिए डीईआरसी पहले ही सैद्धांतिक सहमति दे चुका है उस पर कंसलटेंट देख सकता है कि उस खरीद की वाकई जरूरत थी या नहीं। अगर सैंपल में 25 पर्सेंट मामलों में खरीद ज्यादा कीमत पर पाई गई, तो सभी स्कीम की डिटेल में जांच की जाएगी। 

आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने कहा कि कंसलटेंट के लिए यह शर्त भी जोड़ी जानी चाहिए कि वह सैंपल का साइज बढ़ा सके। 25 पर्सेंट सैंपल में गड़बड़ी पाने पर नहीं, बल्कि 5-7 पर्सेंट सैंपल में गड़बड़ी पाने पर ही सभी स्कीम की पूरी जांच की जानी चाहिए। आरडब्ल्यूए का कहना है कि बिजली कंपनियों ने जिस तरह अपने अकाउंट को गलत तरीके से पेश किया है उससे यह संदेह भी होता है कि कंसलटेंट को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है। कंसलटेंट बिना किसी दबाव और प्रभाव में आए बिजली कंपनियों के खर्चों का हिसाब बताए, इसके लिए जरूरी है कि उस पर पब्लिक की नजरें हों। उन्होंने कहा कि कंसलटेंट के काम को पब्लिक स्क्रूटनी के लिए ओपन होना चाहिए। 

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