Tuesday, September 30, 2014

सफाई अभियान की शुरुआत !

२ अक्टोबर से भारत में एक सफाई अभियान की शुरुआत हो रही है. मुझे लगता है की यह एक अच्छा कदम है और हर एक भारत वासी को इसमे जुड़ना चाहिए. आज के हालात इतने खराब हैं की आप किसी भी सरकारी दफ़्तर में जाएँ, किसी सरकारी अस्पताल में जाएँ, या किसी भी पब्लिक प्लेस में जाएँ, चारों तरफ गंदगी के ढेर मिलेंगे. और तो और, पान क़ी पीक की पिचकारी तो ऐसी चित्रकारी करती है की दीवारों की हालत देख कर रोना आ जाए. सड़को के किनारों को बेशर्मी से पब्लिक यरिनल बना देना तो एक आम बात है. 


सबसे ज़्यादा सफाई की ज़रूरत है रेलवे लाइन्स की. रोज सुबह जब स्टेशन से ट्रेन निकलती है तो बड़ों बड़ों को भी बाहर देखने में शर्म आ जाती है क्योंकि इतना बड़ा ओपन, खुला टाय्लेट शायद दुनिया में कहीं भी नही होगा. 


इसके साथ साथ, यमुना के किनारों पर जहाँ गुजरात की तरह लोगों को घूमने का आनंद मिलना चाहिए, वहाँ पर झुग्गी झोंपड़ी वाले इतना गंद फैलाते हैं की घूमना तो बड़ी दूर की बात है, वहाँ से निकलना भी हो तो नाक पे रुमाल रखना पड़ता है. इन सब के साथ साथ, यमुना में किसी भी तरह का कूड़ा, गंद, पर्दूषण के केमिकल्स के फेंकने पर रोक लग जानी चाहिए.


गली मुहल्लों के खततों की सफाई की नितांत आवशयकता है क्योंकि सफाई करमचारी तो सुबह अपना काम कर के चले जाते हैं और बचा हुआ कूड़ा सारा दिन उधर रहने वालों के लिए और उधर से गुजरने वालों के लिए मुसीबत बन जाता है.

इस सब के साथ साथ, लोगो की मेनटॅलिटी भी बदलने की ज़रूरत है क्योंकि विदेश जाने पर हम बड़े सॉफ सुथरे होने का ढोंग करते हैं और अपनी ज़मीन पे पहुँचते ही अपनी औकात पे आ जाते हैं. मुझे लगता है की विदेशो की तर्ज़ पे, भारत में भी कूड़ा डालने वालों के खिलाफ सखत क़ानून होने चाहिए.


इस मुहिम में सफलता सिर्फ़ तब मिल सकती है जब हम सब लोग इस मुहिम में जुड़ें क्योंकि ऐसा करने से हम किसी और का नही, बल्कि सिर्फ़ अपना भला करेंगे. 

दिल्ली की सभी रेसिडेंट वेलफेर असोसियेशन्स को भी खुल कर सामने आना चाहिए.


धन्यवाद


बी एस वोहरा

Voice of Delhi RWAs
East Delhi RWAs Joint Front
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